अनफिट वाहनों पर जुर्माना और जबरन स्क्रैपिंग की तैयारी
नई दिल्ली। दिल्ली-एनसीआर में नीति बनाई गई कि दस वर्ष पुराने डीजल और पन्द्रह वर्ष पुराने पेट्रोल वाहन जब्त किए जाएंगे। उद्देश्य था कि अनफिट वाहन सड़कों पर न चलें, लेकिन दिल्ली सरकार ने ही ऐसे वाहनों पर प्रतिबंध के विरुद्ध अपील की और सुप्रीम कोर्ट ने ऑर्डर पर रोक लगा दी। यह उदाहरण है कि जिम्मेदारों को किस तरह पर्यावरण से अधिक राजनीतिक हितों की चिंता है। देशभर में उदासीनता का यही हाल है, जिसके कारण 97 लाख ऐसे वाहन पर्यावरण में प्रदूषण का जहर घोलतें दौड़ रहे हैं, जिन्हें नियमानुसार स्क्रैप कर देना चाहिए, लेकिन अब तक मात्र तीन लाख की ही स्क्रैपिंग हो सकी है।सख्त मोटर व्हीकल एक्ट भी इसी राजनीति का शिकार हुआ था।
राजमार्ग मंत्रालय ने सुधार की आस के साथ उम्र पूरी कर चुके वाहनों (एंड लाइफ व्हीकल ईएलवी) पर कार्रवाई के लिए एसओपी जारी की है। यदि राज्य सरकारों ने इस प्रयास में केंद्र सरकार का सहयोग किया तो ऐसे वाहनों पर, जुर्माना, जब्ती या जबरन स्क्रैपिंग की रणनीति धरातल पर उतारी जा सकती है।सड़क सुरक्षा से जुड़े विशेषज्ञ मानते हैं कि अनफिट पुराने वाहन अन्य वाहनों की तुलना में दस से पंद्रह प्रतिशत तक अधिक वायु प्रदूषण फैलाते हैं। साथ ही ऐसे वाहनों के कारण दुर्घटनाओं की आशंका भी अधिक रहती है। इस समस्या के समाधान के लिए ही केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय ने वर्ष 2021 में वाहन देशभर में स्क्रैपिंग सेंटर खोलना शुरू किए, लेकिन अपने पुराने वाहनों को स्क्रैप कराने से न सिर्फ वाहन चालक बचते हैं, बल्कि राज्य सरकारों की प्रवर्तन एजेंसियों ने भी ढुलमुल रवैया ही अपनाए रखा। इस व्यवस्था के प्रति बेरुखी केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी के कुछ दिन पहले के ही बयान से समझी जा सकती है, जिसमें उन्होंने कहा था कि देश में इस वक्त करीब 97 लाख वाहन ऐसे हैं, जिन्हें कबाड़ घोषित कर स्क्रैप करा दिया जाए तो पर्यावरण प्रदूषणं काफी कम हो सकता है। बताया कि अब तक देश में सिर्फ तीन लाख वाहनों की ही स्क्रैपिंग हो सकी है। हालांकि, संतोष सिर्फ इस बात पर किया जा सकता है कि पिछले वर्षों की आशा में तेजी आई है और गडकरी के प्रयासों से आटोमोबाइल कंपनियों ने स्क्रैपिंग सर्टिफिकेट के आधार पर नए वाहन की खरीद पर छूट देने की भी बात कही है। इन प्रयासों के बीच परिवहन मंत्रालय ने ऐसी एसओपी तैयार की है, जो व्यवस्था काफी हद तक पटरी पर ला सकती है। इसमें राज्यों की सक्रियता बहुत जरूरी है। एसओपी में कहा गया है कि भारत में पंजीकृत सभी वाहनों को सड़क पर चलने की योग्यता के लिए समय-समय पर मूल्यांकन से गुजरना होगा। उम्र पूरी कर चुके वाहनों की पहचान वाहन की आयु (पंजीकरण के आधार पर) या आटोमैटिक फिटनेस टेस्ट में उत्तीर्ण न होने के आधार पर की जाएगी। पहचान हो जाने पर ऐसे वाहनों को वाहन पोर्टल पर आटोमैटिक तरीके से चिह्नित किया जाएगा।मंत्रालय ने दिशा-निर्देश जारी किए हैं कि फील्ड में तैनात क्षेत्रीय परिवहन कार्यालय के अधिकारियों और’ यातायात पुलिस को वाहन पोर्टल के साथ एकीकृत हैंड हेल्ड उपकरणों या मोबाइल एप्लिकेशन से लैस होना चाहिए।
Author: Chautha Prahari
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