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समस्त राज्य किसानों से श्री अन्न खरीद कर मिड डे मील आदि में करें उपयोग-केंद्रीय कृषि मंत्री 

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समस्त राज्य किसानों से श्री अन्न खरीद कर मिड डे मील आदि में करें उपयोग-केंद्रीय कृषि मंत्री

चौथा प्रहरी ब्यूरो भुवनेश्वर/नई दिल्ली। केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण और ग्रामीण विकास मंत्री शिवराज सिंह चौहान सोमवार को ओडिशा के एक दिवसीय दौरे पर पहुंचे, जहां उन्होंने भुवनेश्वर में लोक सेवा भवन स्थित कन्वेंशन सेंटर में ओडिशा सरकार द्वारा आयोजित “मंडिया दिबासा” (मिलेट्स डे) का शुभारंभ किया। यहां ओडिशा के मुख्यमंत्री  मोहन चरण माझी, उप मुख्यमंत्री व कृषि मंत्री कनक वर्धन सिंह देव सहित किसान व वैज्ञानिक भी उपस्थित थे।

कार्यक्रम में मुख्य अतिथि केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह ने कहा कि मंडिया दिबासा केवल दिवस नहीं है, ये श्री अन्न को प्रमोट करने का बहुत सार्थक प्रयत्न है। बातें बहुत राज्यों ने, बहुत लोगों ने की लेकिन धरती पर उतारने का काम सबसे पहले ओडिशा ने किया है, जिसका अभिनंदन और मुख्यमंत्री श्री माझी बधाई। शिवराज ने कहा कि श्री अन्न सिर्फ अनाज नहीं है, इसका मतलब है पोषणयुक्त खाद्यान्न प्रदान करना, रसायनमुक्त खेती, पानी बचाना, इंसान के स्वास्थ्य को ठीक करना, धरती के स्वास्थ्य को भी बचाना और आने वाली पीढ़ियों के लिए धरती सुरक्षित रखना।शिवराज सिंह ने कहा कि भारत के ऋषियों ने सैकड़ों साल पहले कहा था “शरीरं आद्यं खलु धर्मसाधनम्”, यह शरीर माध्यम है सब धर्मों के पालन करने का, पहला सुख निरोगी काया, निरोगी रहने के लिए उपयुक्त आहार चाहिए, भोजन ठीक होना चाहिए। हमारे ऋषियों ने कहा है- हितभुक्, मितभुक्, व ऋतभुक्। भोजन कैसा करें, तो तीन तरह के “हितभुक्”, जो शरीर के लिए हितकारी हो। आजकल फास्टफूड और बाकी चीजें जो चलती है, क्या वो शरीर के लिए उपयोगी है। हम केवल स्वाद के लिए जितनी चीजों का इस्तेमाल करते हैं भोजन में, क्या वो शरीर के लिए उपयोगी है। आज जमाना कहता है प्रधानमंत्री के नेतृत्व के कारण श्रीअन्न की जो महत्ता जो उन्होंने फैलाई है, वैज्ञानिक कह रहे हैं कि शरीर को स्वस्थ रखने के लिए यह मोटा अनाज, यानी मिलेट्स (श्री अन्न) वरदान है, इसमें जितने तरह के पोषक तत्व हैं, वो वैज्ञानिकों ने प्रूफ किए हैं और इसलिए शरीर के लिए मिलेट्स हितकारी हैं, उनकी उपेक्षा न करें।केंद्रीय कृषि मंत्री ने कहा कि मिलेट्स के गुणों की आज पूरी दुनिया में चर्चा हो रही है। प्रधानमंत्री के नेतृत्व में इंटरनेशनल मिलेट्स ईयर का आयोजन किया गया। हमें मिलेट्स को बढ़ावा देना है ये केवल नारे से, भाषण से नहीं हो सकता। हमें मिलेट्स के गुणों की चर्चा व्यापक पैमाने पर आमजन के बीच करना होगी। हम जैसा भोजन करते हैं, उसका शरीर के स्वास्थ्य पर सीधा असर पड़ता है। कई बार आप फूड हैबिट से अपने स्वास्थ्य को ठीक कर सकते हैं, डायबिटीज जैसी बीमारी को ठीक कर सकते हैं, इसलिए मिलेट्स की उपयोगिता आज सारा जगत जानता है।उन्होंने सभी राज्यों से किसानों का श्री अन्न खरीदने की अपील करते हुए कहा कि ओडिशा मिनिमम सपोर्ट प्राइस पर श्री अन्न खरीद रहा है, मिड डे मील में देना शुरू किया है, ये बच्चों के लिए लाभकारी है। भारत सरकार कहती है खरीदकर आपके यहां उपयोग करो। वो स्वास्थ्य के लिए उपयोगी है, मिड डे मील में क्यों नहीं दे सकते। ये तय कर दिया जाए कि हर सरकारी आयोजन, बैठकों में श्री अन्न से बने उत्पादों का ही उपयोग किया जाएगा। आपने तो मिलेट्स कैफे खोले हैं, जो अलग-अलग इलाकों में बढ़ाए जा सकते हैं। मैं, दिल्ली में कृषि मंत्रालय में मिलेट्स कैफे खुलवाऊंगा। ओडिशा के मिलेट्स का, आपके प्रयासों का हम प्रचार-प्रसार करेंगे, ताकि बाकी राज्य भी उसे अपनाएं। भारत सरकार प्रधानमंत्री के आशीर्वाद से श्री अन्न को बढ़ाने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ेगी। ओडिशा मॉडल को मैं पूरे हिंदुस्तान में लेकर जाऊंगा। ओडिशा ने मिलेट्स को बढ़ावा देने के लिए प्रकाश स्तंभ के रूप में काम किया है। केन्द्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह ने कहा कि आईसीएआर के वैज्ञानिकों को मैंने निर्देश दिए है कि प्रति हेक्टेयर मिलेट्स उत्पादन बढ़ाने के लिए अच्छे बीजों का विकास बहुत जरूरी है। मिलेट्स में पानी बहुत कम लगता है, ये सूखे इलाके में भी हो सकते हैं, कमजोर माटी में भी सुपरफूड पैदा होता है, कम संसाधनों में पैदा होता है, इसमें खाद नहीं पड़ती है, लागत घटती है, लागत और कम कैसे हो सकती है उस बारे में रिसर्च की कोशिश करें। श्रीअन्न की प्रोसेसिंग स्वयं सहायता समूहों की बहनें भी कर रही हैं, मंत्री शिवराज सिंह ने उनका अभिनंदन करते हुए कहा कि ओडिशा ही नहीं, अन्य प्रांतों में भी, मध्य प्रदेश में भी कोदो-कुटकी की प्रोसेसिंग का काम बहनों ने किया हैं, हम अलग-अलग प्रोसेसिंग सेंटर कैसे बढ़ा सकते हैं, ग्रेडिंग और पैकेजिंग भी वहीं कर लें, तो श्री अन्न के दाम स्थानीय स्तर पर भी किसानों को ज्यादा मिलेंगे।

Chautha Prahari
Author: Chautha Prahari

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