कुलपति के निर्देशन में जननायक बिरसा मुंडा के जन्मदिवस पर संगोष्ठी का आयोजन
अयोध्या। डा. राममनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय के कुलपति कर्नल डाॅ. बिजेन्द्र सिंह के निर्देशन मे इतिहास, संस्कृति एवं पुरातत्व विभाग में जननायक बिरसा मुण्डा के जन्मदिवस पर संगोष्ठी आयोजित की गई।
पुरातत्व विभाग के विभागाध्यक्ष डाॅ. संजय चौधरी ने कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए कहा कि जननायक बिरसा मुंडा के सामाजिक सहयोग और स्वतंत्रता आंदोलन में उनके द्वारा जल, जंगल धरती के लिए किए गए बलिदान पर अपने विचार व्यक्त किया।वही डाॅ. राजेश सिंह ने छात्रों का उत्साह वर्धन करते हुए कहा कि जननायक बिरसा मुंडा का समूचा जीवन सामाजिक कल्याण में बीता। छात्रों द्वारा एकत्र किए गए उनके बलिदान के तथ्यों पर बहुत हर्ष व्यक्त किया। उन्होंने बिरसा मुण्डा के जीवन के बारे मे जानकारी देने वाले समकालीन स्रोतों की चर्चा की। उन्होंने छात्रों को अवगत कराया कि बिरसा मुण्डा ने दो प्रकार के संगठन बनाए थे। विश्वविद्यालय के छात्र हिमांशु मिश्र ने अपने ओजस्वी प्रस्तुतिकरण में भगवान बिरसा मुण्डा के आदर मे स्वयं निर्मित कविता प्रस्तुत करते हुए श्रोताओं में स्फूर्ति पैदा कर दीःक्राँति की अमिट कहानी था, वह वीर बहुत अभिमानी था। डरा नहीं वो गोरों से, लहजा उसका तूफानी था।।जल, जंगल धरती के खातिर, जिसने सबकुछ वारा था।जबकि विश्वविद्यालय की छात्रा शिवांगी ने बिरसा मुण्डा के जन्म के बारे में बताया तो आयुषी तथा साक्षी ने जीवन में घटित घटनाओं की विस्तार से चर्चा की। आदर्श तिवारी तथा रितिका शुक्ला ने इसाई मिशनरियों द्वारा किए जा रहे धर्म परिवर्तन के प्रति बिरसा मुण्डा के क्रोध पर प्रकाश डाला। आनन्द सिंह ने अधिक गहराई ने बिरसा मुण्डा के करीबी सहयोगियों के नाम उजागर किए। उन्होंने बताया कि बिरसा मुण्डा ने इसाई धर्म त्याग कर 1897 में वैष्णव धर्म अपना लिया था। सम्भावी मिश्र ने शोधपरक तथ्यों को प्रस्तुत करते हुए बिरसा मुण्डा के जीवन की घटनाओं से वर्तमान पीढ़ी को सीखने की आवश्यकता पर बल दिया। साक्षी ने बिरसा मुण्डा के अल्प आयु में हुए निधन को दुर्भाग्यपूर्ण बताया। सभी युवा वक्ताओं ने कार्यक्रम का माहौल स्वतंत्रता के अग्रदूत के लिए भावुकता से भर डाला।इस मौके पर विभाग के वरिष्ठ तथा शोधछात्र ज्ञान प्रकाश तिवारी ने सभी का आभार व्यक्त करते हुए कविता ‘क्राँतिकारी देशभक्त, बिरसा तुझे प्रणाम। गौरव तू मन देश का, जग में तेरा नाम।।’ का वाचन किया। कार्यक्रम के सभी सदस्य मंत्रमुग्ध हुए। कार्यक्रम का संचालन विभाग की वरिष्ठ छात्रा अंकिता ने किया। इस अवसर पर विभाग के प्राध्यापक डाॅ. दिवाकर त्रिपाठी, डाॅ. नेहा श्रीवास्तव, डाॅ. सुरेन्द्र प्रताप यादव तथा सदस्यों सौरभ मिश्र, भगवान मिलन शुक्ला के अलावा पुरातत्व विभाग के बडी संख्या मे शोध छात्र तथा परास्नातक के छात्र छात्राएं मौजूद रहे।
Author: Chautha Prahari
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