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UP NEWS:जनजाति भागीदारी उत्सव का मुख्यमंत्री योगी ने ढोल की थाप से शुभारंभ

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जनजाति भागीदारी उत्सव का मुख्यमंत्री योगी ने ढोल की थाप से शुभारंभ

चौथा प्रहरी (ब्यूरो) लखनऊ। लोकनायक धरती आबा भगवान बिरसा मुंडा की 150वीं जयंती के अवसर पर गुरुवार को राजधानी के इंदिरा गांधी प्रतिष्ठान (आईजीपी) में छ: दिवसीय (13-18 नवंबर 2025) जनजातीय भागीदारी उत्सव की शुरुआत हुई। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने आयोजन का शुभारंभ किया। कार्यक्रम में उत्तर प्रदेश के पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री जयवीर सिंह और राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) समाज कल्याण विभाग असीम अरुण की गरिमामय उपस्थिति रही। मुख्यमंत्री ने उत्तर प्रदेश की धरती पर पधारे 22 राज्यों के करीब 600 जनजातीय कलाकारों का स्वागत और अभिनंदन किया।

सीएम योगी आदित्यनाथ ने ढ़ोल की थाप से कार्यक्रम का उदघाटन किया। मुख्यमंत्री ने जनसभा को संबोधित करते हुए कहा कि पीएम मोदी की प्रेरणा से एक नवंबर से 15 नवंबर तक जनजातीय गौरव पखवाड़ा मनाया जा रहा है, ताकि जनजाति समुदाय को अपनी परंपरा, संस्कृति, व्यंजन, कला और संगीत आदि पर गर्व की अनुभूति हो। लखनऊ में यह आयोजन सांस्कृतिक समागम का बड़ा उत्सव है। पूर्वोत्तर राज्य अरुणाचल प्रदेश हमारा सहभागी बना है। देश के विभिन्न राज्यों से आए जनजाति समुदाय के लोगों द्वारा यहां लगी प्रदर्शनी, स्टॉल पर सजे सामान और साहित्य उनके प्यार, सम्मान व अपनी संस्कृति के प्रति उनके जुड़ाव को दिखाता है।मुख्यमंत्री ने कहा, ‘यह वर्ष इतिहास के सुनहरे अध्यायों से आलोकित हो रहा है। तीन महान अवसरों की 150वीं जयंती का साक्षी बन रहा है। भगवान बिरसा मुंडा की अदम्य वीरता, लौहपुरुष सरदार वल्लभभाई पटेल की राष्ट्रनिर्माण दृष्टि और ‘वंदे मातरम’ के अमर राष्ट्रगान की 150वीं वर्षगांठ, तीनों मिलकर इस वर्ष को राष्ट्रीय गौरव का प्रतीक बना रहे हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि धरती आबा बिरसा मुंडा ने महज 25 वर्ष की आयु में अंग्रेजों से संघर्ष करते हुए अपने प्राणों की आहुति दी थी और ‘अपना देश, अपना राज्य’ का अमर संदेश दिया था।भगवान बिरसा मुंडा की 150वीं जयंती के अवसर पर लखनऊ में शुरू हुए जनजातीय भागीदारी उत्सव में देशभर के लोक कलाकारों और जनजातीय प्रतिनिधियों के उत्साहपूर्ण समागम के बीच उत्तर प्रदेश के पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री जयवीर सिंह ने समस्त राज्यों से आए कलाकारों का हार्दिक स्वागत और आभार व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि ‘प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मार्गदर्शन और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के कुशल नेतृत्व में अगले छह दिनों तक राजधानी लखनऊ जनजातीय कला, संस्कृति और परंपराओं के रंगों से सराबोर रहेगी। यह उत्सव न केवल जनजातीय समुदाय की विविध सांस्कृतिक धरोहर से परिचय का अवसर देगा, बल्कि राज्यों के बीच सांस्कृतिक एकता को भी मजबूत करेगा।पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री ने कहा, ‘प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ‘एक भारत, श्रेष्ठ भारत’ के संकल्प को साकार करने की दिशा में देश 15 नवंबर को मुंडा जनजाति के महानायक बिरसा मुंडा की जयंती को जनजाति गौरव दिवस’ के रूप में मनाने के लिए पूरी तरह तैयार है। वर्ष 2017 में राज्य की बागडोर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के हाथों में आने के बाद उत्तर प्रदेश में निवास करने वाले अनुसूचित जनजाति और अन्य पिछड़ा वर्ग के कल्याण के लिए हरसंभव प्रयास हुए हैं। वनटांगिया, वनवासी, घुमंतू समाज आदि के उत्थान के कार्य होते रहे हैं। इसी का परिणाम है कि मुख्यमंत्री स्वयं उनके बीच जाकर दीपावली एवं अन्य त्योहार मनाने उस समाज के बीच जाते हैं। प्रदेश सरकार जनजाति समाज के अधिकारों, जमीनों के मालिकाना हक़, व्यक्तिगत समस्या के समाधान और समाज की मुख्यधारा में जोड़ने का निरंतर प्रयास करती रही है, जिसमें सफलता भी मिली है। पर्यटन मंत्री जयवीर सिंह ने कहा बिरसा मुंडा ने 25 वर्ष की अल्प आयु में जल, जंगल और जमीन के लिए ब्रिटिश हुकूमत के खिलाफ वद्रोह का बिगुल फूंका और प्राणों का बलिदान दिया, हम उसका सम्मान करने जुटे हैं। हमारी सरकार जनजाति समाज की सांस्कृतिक धरोहर संरक्षित करने का लगातार प्रयास कर रही है। बलरामपुर के इमिलिया कोडर गांव में थारू जनजाति का संग्रहालय निर्माण इसका जीता-जागता प्रमाण है। थारू जनजाति द्वारा तैयार उत्पाद को बाजार उपलब्ध करवाने के प्रयास भी हो रहे हैं। इसी तरह, गांव के चौपाल पर लोग वाद्य यंत्र बजाते, ढ़ोल-मंजीरे बजाते मनोरंजन करते थे, उस प्राचीन कला को पुनर्जीवित करने के तहत उत्तर प्रदेश के सभी ग्राम सभाओं में क्रमबद्ध तरीके से वाद्य यंत्र उपलब्ध कराने का काम किया जा रहा है। इसी क्रम में 15 नवंबर को बिरसा मुंडा की जन्म जयंती पर मुख्यमंत्री जनजातीय बाहुल्य जिला सोनभद्र में स्वयं उपस्थित रहकर समाज को संदेश देंगे।उन्होंने कहा हाल ही में उत्तर प्रदेश की गौरव गाथा में एक और स्वर्णिम अध्याय जुड़ गया है। लखनऊ को ‘यूनेस्को की क्रिएटिव सिटी ऑफ़ गैस्ट्रोनॉमी’ के रूप में चुना जाना हमारे लिए अपार गर्व का विषय है। यह उपलब्धि केवल लखनऊ की स्वादिष्ट और समृद्ध पाक-परंपरा की पहचान नहीं है, बल्कि उसके अद्वितीय खान-पान, सृजनात्मक नवाचार और सांस्कृतिक विविधता का भी अंतरराष्ट्रीय सम्मान है।राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) समाज कल्याण विभाग असीम अरुण ने अपने संबोधन में कहा, ‘जनजातीय भागीदारी उत्सव केवल एक सांस्कृतिक कार्यक्रम नहीं, बल्कि भारत की सामासिक संस्कृति का जीवंत प्रतीक है, जहां विभिन्न जनजातियों के रहन-सहन, परंपरागत शिल्प, लोककला, लोक संगीत, और खानपान की विशिष्टता एक मंच पर प्रदर्शित हो रही है। जनजातीय समाज की वन संस्कृति, प्रकृति के प्रति आस्था, सामाजिक सहयोग की परंपरा और आत्मनिर्भर जीवनशैली इस आयोजन की आत्मा है। उन्होंने जनजातीय समुदाय के बच्चों के लिए खुल रहे एकलव्य और सर्वोदय स्कूलों के लिए सरकार का आभार जताया।इंदिरा गांधी प्रतिष्ठान में आयोजित जनजातीय भागीदारी उत्सव में विधान परिषद सदस्य सुभाष यदुवंश अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति आयोग के अध्यक्ष बैजनाथ रावत, उपाध्यक्ष जीत सिंह खरवार, उपाध्यक्ष बेचन राम और अपर मुख्य सचिव समाज कल्याण विभाग एल वेंकटेश्वर आदि उपस्थित रहे।

Chautha Prahari
Author: Chautha Prahari

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